- सिकल सेल रोग के साथ 2047 के बाद कोई बच्चा जन्म नहीं ले : राज्यपाल पटेल
- जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड वितरण में वाहक और रोगी को प्राथमिकता मिले: राज्यपाल पटेल
- राज्यपाल ने जनजातीय कार्य, स्वास्थ्य और आयुष विभाग की बैठक में दिये निर्देश
- आयुर्वेद के उपचार और औषधियों के चिन्हांकन और प्रमाणीकरण के प्रयास जरूरी
भोपाल
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि वर्ष 2047 के बाद कोई भी बच्चा सिकल सेल रोग के साथ जन्म नहीं ले। यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि जाँच और पुनर्वास के कार्य तीव्र गति और नियोजित रणनीति के अनुसार किये जाए। प्रभावी परिणामों के लिए कार्यों की पहुँच अंतिम कड़ी तक हो, यह भी सुनिश्चित किया जायें। उन्होंने कहा है कि वाहक और रोगी के चिन्हांकन के साथ ही जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड प्राथमिकता के आधार पर उन्हें प्रदान किये जाये। प्रत्येक जिले के सिविल अस्पताल में सिकल सेल रोग वार्ड बनाया जाए। रोगी बच्चों के प्रभावी उपचार के लिए वार्ड में प्रयास किये जाने चाहिए। राज्यपाल पटेल ने यह निर्देश जनजातीय कार्य, स्वास्थ्य और आयुष विभाग की उच्चस्तरीय बैठक में दिये। बैठक का आयोजन राजभवन के सभाकक्ष में किया गया था।
राज्यपाल पटेल ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सिकल सेल रोग उन्मूलन प्रयासों की निरंतर मॉनिटरिंग कर रहे है, जिसका उल्लेख वह अपने सार्वजनिक उद्बोधनों में भी करते है। उन्होंने कहा कि देश को सिकल सेल रोग मुक्त बनाने के लिए गठित मिशन की लॉन्चिंग प्रधानमंत्री मोदी ने प्रदेश के शहडोल जिले से की है। इस तरह उन्होंने सिकल सेल उन्मूलन की दिशा में प्रदेश के कार्यों को पूरे देश में प्रसारित किया है। प्रदेश का दायित्व है कि वह सिकल सेल उन्मूलन के कार्यों में देश का अग्रणी राज्य बने। उन्होंने स्वास्थ्य शिविर के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि जरूरी है कि सिकल सेल रोग उपचार और पुनर्वास प्रयासों के संबंध में आम जन की जागृति और स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत कार्यकर्ताओं को और अधिक संवेदनशील बनाने के कार्य भी किये जाए। वाहक और रोगी दोनों को पोषण, खान-पान, व्यायाम और जीवन शैली के संबंध में जानकारी दी जाये। उन्होंने इस कार्य में जन प्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता पर भी विशेष बल दिया है। राज्यपाल पटेल ने अपेक्षा की है कि जनप्रतिनिधि सार्वजनिक कार्यक्रमों में सिकल सेल रोग का उल्लेख करे।
राज्यपाल पटेल ने सिकल सेल रोग उपचार प्रयासों में अन्य चिकित्सा पद्धतियों विशेष कर आयुर्वेद के उपचार और औषधियों के चिन्हांकन और प्रमाणीकरण के प्रयासों पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि जनजातीय वैद्य और जड़ी-बूटियों के व्यापक स्तर पर संदर्भ उपलब्ध है। आवश्यकता उनको वैज्ञानिक आधार प्रदान करने की है। उन्होंने विशेष पिछड़ी जनजातियों की बसाहटों में मूलभूत विकास सुविधाओं की उपलब्धता के लिए प्रधानमंत्री जन मन अभियान के तहत किये जा रहे कार्यों की जानकारी ली। राज्यपाल पटेल ने कहा कि योजना के तहत कार्यों की आयोजना व्यवहारिकता की पृष्ठ भूमि पर बनाई जाए। उसमें क्रियान्वयन के लिए लचीलापल भी होना चाहिए। बसाहट को सड़क से जोड़ने के कार्य का प्रारम्भ बसाहट से किया जाए। मार्ग में स्कूल, चिकित्सालय आदि भी सम्मिलित हो जाए, इस मंशा के साथ कार्य किये जाए।
बैठक में उप मुख्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राजेन्द्र शुक्ल, जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह, आयुष, उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, जनजातीय प्रकोष्ठ के अध्यक्ष दीपक खाण्डेकर, अपर मुख्य सचिव जनजातीय कार्य एस. एन. मिश्रा, अपर मुख्य सचिव आयुष श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव और राज्यपाल के प्रमुख सचिव डी. पी. आहूजा मौजूद थे।