राजनांदगांव में काका की राह में कांटे हजार, नहीं मिल रही मोदी मैजिक की काट

राजनांदगांव.

छत्तीसगढ़ में काका के नाम से मशहूर भूपेश बघेल राजनांदगांव में ऐसे चक्रव्यूह में फंस गए हैं, जिसे भेदना आसान नहीं नजर आ रहा। ग्रामीण इलाकों में बघेल के पास पर्याप्त समर्थन है। जिला मुख्यालय से कुछ किमी आगे बढ़िए, तो लोगों की राय उनके पक्ष में सकारात्मक मिलती है। किराना व्यापारी विकास साहू हों या स्नातक की पढ़ाई कर रहे रमेश धानुक, सबका मानना है कि मुख्यमंत्री रहते बघेल ने इलाके के लिए काफी काम किया है। लेकिन, बात जब थोड़ी आगे बढ़ती है, तो मन का भाव सामने आ जाता है-जीतेगी तो बीजेपी ही! यह नैरेटिव ही बघेल की सबसे बड़ी चुनौती और भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है।

फिलहाल कांग्रेस के पास इसका कोई तोड़ नहीं है। दिल्ली पहुंचने के लिए बघेल ने दिन-रात एक कर रखा है। बघेल को ग्रामीण इलाकों से ज्यादा उम्मीद है। इसलिए राजनांदगांव, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह विधायक हैं, जैसे इलाकों को छोड़कर वह खैरागढ़, डोगरगांव, कवर्धा और पंडरिया जैसे इलाकों में ज्यादा जोर लगा रहे हैं। बघेल की चुनौती इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद संतोष पांडेय को फिर उतारा है। क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर कांग्रेस का कब्जा है। क्या इसका फायदा बघेल को नहीं मिलेगा? भाजपा के जिला मीडिया प्रभारी योगेश दत्त मिश्रा कहते हैं- इससे क्या होता है? लोकसभा व विस के मुद्दे अलग-अलग होते हैं। लोग समझदार हैं। उन्हें पता है विकास तो मोदी ही कराएंगे। भाजपा के चुनाव कार्यालय में मौजूद एक अन्य कार्यकर्ता अमर लालवानी इस धारणा को बेमानी बताते हैं कि भाजपा का असर सिर्फ शहरी इलाकों में ही है। भाजपा कार्यकर्ताओं की जीत के प्रति आश्वस्ति के बीच कांग्रेस ने मोर्चा फतह करने के लिए पूरा जोर लगा रखा है। जातिगत समीकरण, प्रचार सामाग्री का सही विवरण, एक-एक वोटर की ट्रैकिंग, बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की उपस्थिति और सोशल मीडिया पर प्रचार से लेकर भाजपा समर्थक माने जाने वाले वोटरों तक पहुंच बनाने की कोशिश, हर रणनीति कांग्रेस पूरी शिद्दत से अंजाम दे रही है। पार्टी के चुनाव संचालन प्रभारी गिरीश देवांगन दावा भी करते हैं कि यहां जीत को लेकर कोई संशय नहीं। महादेव बेटिंग एप जैसे मुद्दे वोटर को बरगला नहीं सकते। उधर, भाजपा को अपने परपंरागत मतदाताओं के अलावा मोदी मैजिक पर पूरा भरोसा है। मौजूदा सांसद संतोष पांडेय का सहज व्यवहार और इलाके में कराए गए काम भी उनके काम आ रहे हैं। गढ़बो नया छत्तीसगढ़ का नारा कभी कांग्रेस ने दिया था लेकिन अब जैसे भाजपा ने इसे अपना लिया है।

महालक्ष्मी नारी न्याय योजना पर जोर
राजनांदगांव में बघेल की चुनाव संचालन समिति, कांग्रेस की न्याय गारंटी से खासी आस लगाए हुए है। विशेषकर उस नारी न्याय योजना से, जिसके तहत हर गरीब परिवार की महिला को साल में एक बार एक लाख रुपये देने का वादा किया गया है। पार्टी ने इस योजना की बाकायदा बुकलेट छपवा रखी है और अभी से पात्रता रखने वालों का रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया है। कार्यकर्ताओं का दावा है कि ग्रामीण इलाकों में इस योजना का खासा रिस्पांस मिल रहा है। पिता का भी प्रभाव : बघेल अपने नाम पर तो चुनाव लड़ ही रहे हैं, उन्हें पिता नंदकुमार बघेल के प्रभाव का भी फायदा मिलने की उम्मीद है। मोहल्ला मानपुर विधानसभा क्षेत्र में नंदकुमार बघेल के संगठन के कार्यकर्ता लंबे समय से अंधविश्वास और पाखंड विरोधी सामाजिक गतिविधियां संचालित करते रहे हैं। कई गांवों में संगठन के पास कार्यकर्ताओं की सम्मानजनक संख्या भी है।  

कुछ आंकड़े ——-

0- राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में आदिवासी और पिछड़े समुदाय की जनसंख्या क्रमश: 35% और 30% है।

0- कुल आठ विधानसभा सीटें-खैरागढ़, डोंगरगढ़, राजनंदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी, मोहल्ला-मानपुर, कवर्धा, पंडरिया, 1957 से अब तक हुए 17 चुनाव में यहां से नौ बार कांग्रेस और आठ बार भाजपा ने जीत दर्ज की।

0- 1999 में रमन सिंह और मोतीलाल वोरा के बीच चुनावी मुकाबला हुआ, जिसमें रमन सिंह की जीत हुई थी।

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