मुरैना
जैसे-जैसे मई महीना नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे गर्मी तल्ख होती जा रही है। गर्मी के हाल ऐसे हैं कि बाहर निकलते ही धूप की तपन और लू के थपेड़े बेहाल करते हैं, तो घर के अंदर उमस भरी गर्मी चैन छीनने लगी है। तापमान में गिरावट आई, लेकिन धूप की तपन और लू के तेवर जनजीवन पर भारी रहे। मौसम विभाग ने तापमान में बढ़ोतरी की संभावना जताई है। सुबह 8 बजे से ही धूप की तपन असहनीय हो गई थी। सुबह 11 बजे से हवा में गर्मी बढ़ती गई और लू जैसी प्रतीत होने लगी।दोपहर 12 से 3 बजे तक का समय ऐसा रहा, कि लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो गया। दोपहर के समय बाजार व सड़कों पर सन्नाटा सा छाने लगा है।
जरूरी कामों से निकले लोग चेहरे को नकाब से ढांककर और आंखों पर चश्मा चढ़ाकर निकले। सूरज ढलान की ओर आया तब धूप की तपन से राहत मिलना शुरू हुई और लोग सड़कों व बजारों की ओर रुख करने लगे। सूर्यास्त के बाद धूप से राहत मिली, लेकिन उसमभरी गर्मी देर शाम तक महसूस होती रही। मौसम विभाग के डॉ. हरवेंद्र सिंह ने कहा, कि आने वाले तीन दिनों में तापमान और बढ़ेगा। दिन का पारा 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है।
अस्पताल में बढ़ी मरीजों की भीड़
गर्मी के कारण मौसमी बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ रहा है। जिला अस्पताल की ओपीडी में आमतौर पर 800 से 1000 मरीज आते थे, उनकी संख्या 1500 को पार कर चुकी है। जिला अस्पताल के वार्डों की हालत ऐसी है कि मरीजों के लिए खाली पलंग नहीं मिल रहे। मेडिकल सहित कई वार्ड की हालत तो ऐसी है, कि एक पलंग पर दो-दो मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. जीएस तोमर के अनुसार सबसे ज्यादा मरीज गर्मी जनित बीमारियों के आ रहे हैं। जिनमें वायरल फीवर, पेट दर्द आदि की शिकायतों के मरीज ज्यादा है।
बिजली के झटकों ने बढ़ाई परेशानी
लगातार बढ़ रही गर्मी के बीच बिजली सप्लाई भी हांफ रही है। जिला मुख्यालय पर बिजली सप्लाई की हालत ऐसी है कि शहर के किसी न किसी क्षेत्र में हर रोज दो से ढाई घंटे तक बिजली गुल हो रही है। किसी क्षेत्र में सुबह 8 से 11 बजे के बीच बिजली गुल होती है तो कहीं-कहीं शाम के समय बिजली सप्लाई ठप हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो हाल और भी बुरे हैं। शुक्रवार और शनिवार को सबलगढ़, पहाड़गढ़, झुण्डपुरा और कैलारस क्षेत्र के कई गावों में दिनभर बिजली के झटके जारी रहे। ऐसे में लोगों को गर्मी और भी ज्यादा सता रही है। गांवों में लोग गर्मी से राहत के लिए पेड़ों के नींचे बैठकर दिन काट रहे हैं।