इजरायल
इजरायल की ओर से 1 अप्रैल को सीरिया में ईरानी कॉन्सुलेट पर हमला किया गया था। इसमें ईरान के एक टॉप जनरल समेत 12 लोग मारे गए थे। इसी का बदला लेते हुए पिछले दिनों ईरान ने इजरायल पर करीब 300 मिसाइल और ड्रोन दागे थे। ईरान की ओर से यह बड़ी कार्रवाई हुई तो अब इजरायल भी जवाब देने का प्लान बना रहा है। लेकिन इस बीच उसके लिए मुश्किल यह है कि हर वक्त के साथी अमेरिका ने उसका साथ देने से इनकार कर दिया है। अमेरिका का कहना है कि यदि इजरायल ने सक्रिय युद्ध छेड़ा तो वह उसका साथ नहीं देगा। इसकी वजह यह है कि अमेरिकी नेतृत्व इजरायल से नाराज है। अमेरिका का कहना है कि ईरान पर 1 अप्रैल का हमला गलती थी।
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार इजरायल जब ईरानी कौन्सुलेट पर हमला करने ही वाला था तो उससे कुछ मिनट पहले ही उसने अमेरिका को जानकारी दी। उसने अमेरिकी नेतृत्व से बताया कि हम ईरान पर चंद मिनटों में बड़ा हमला करने जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार इस खबर से अमेरिकी नेतृत्व में हड़कंप मच गया था। अमेरिकी अफसरों ने तुरंत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन को अलर्ट किया। फिर यह बात अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सहयोगी अधिकारियों तक पहुंची। यही नहीं जो बाइडेन ने भी माना कि यह इजरायल की गलती है।
अखबार का कहना है कि भले ही अमेरिका खुलकर कुछ नहीं कह रहा है, लेकिन उसके अधिकारी निजी बातचीत में इजरायल के प्रति गुस्सा जता रहे हैं। अमेरिकी नेतृत्व इस बात पर नाराज है कि आखिर इतना बड़ा ऐक्शन इजरायल ने उनकी सलाह के बिना कैसे ले लिया। यही नहीं अमेरिका का यह भी मानना है कि इजरायल ने गलती की है और उसे यह अंदाजा तक नहीं था कि ईरान इतना जोरदार जवाब देगा। अखबार अपनी रिपोर्ट में लिखता है,'इजरायलियों ने गलत अनुमान लगाया। उन्हें लगता था कि ईरान इतनी मजबूती से जवाब नहीं देगा। लेकिन इजरायल ने तीन सौ मिसाइलों और ड्रोन्स से अटैक किया था।'
दरअसल इजरायल और ईरान में छिड़े संघर्ष को अमेरिका यहीं खत्म करना चाहता है। फिर भी इजरायल का कहना है कि हम बदला लेंगे। यही वजह है कि इजरायल और अमेरिका के बीच भी गहरे मतभेद पैदा हो गए हैं। यही नहीं बेंजामिन नेतन्याहू ने तो यहां तक कहा कि इजरायल को लेकर हम फैसला लेने में सक्षम हैं। इस तरह उन्होंने साफ किया कि वह अमेरिका और अपने अन्य पश्चिमी सहयोगियों पर निर्भर नहीं हैं।