अमेरिका में भारतीय छात्र की मौत ब्लू व्हेल गेम से जुड़ी होने की संभावना

अमेरिका में भारतीय छात्र की मौत ब्लू व्हेल गेम से जुड़ी होने की संभावना

कोर्ट के अंदर ट्रंप की चल रही थी सुनवाई, बाहर शख्स ने खुद को लगा ली आग; जानें पूरा मामला

पश्चिम एशिया में तनाव के बीच इराक में ईरान समर्थित सैन्य ठिकानों पर पांच धमाके, कम से कम तीन घायल

वाशिंगटन
 अमेरिका में प्रथम वर्ष के एक छात्र ने एक गेम खेलते-खेलते अपनी जान दे दी। घटना मार्च की बताई जा रही है। ऐसी आशंका है कि मौत के इस मामले के पीछे 'ब्‍लू व्‍हेल चैलेंज' ऑनलाइन गेम था, जिसे 'सुसाइड गेम' भी कहा जाता है।20 वर्षीय मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय में प्रथम वर्ष का छात्र 8 मार्च को मृत मिला था। ब्रिस्टल काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के प्रवक्ता ग्रेग मिलियोट का कहना है कि मामले की जांच आत्महत्या के एंगल से की जा रही है।

रिपोर्ट के अनुसार, शुरू में कहा जा रहा था कि छात्र की हत्या की गई है। छात्र को लूटा गया और फिर हत्या कर उसके शव को जंगल में फेंक दिया गया। छात्र का शव जंगल में कार में मिला था। बोस्टन ग्लोब अखबार ने बाद में छात्र की पहचान उसके नाम से की।

हालांकि, परिवार की इच्छा को देखते हुए आईएएनएस नाम नहीं बता रहा है। लेकिन दुनिया भर में नाबालिगों और युवाओं को शिकार बनाने के लिए जाने जाने वाले इस खतरनाक गेम को खेलते समय, भारत और विदेश में भारतीय छात्रों और नाबालिगों और अभिभावकों के लिए एक सतर्क घटना के रूप में रिपोर्ट किए जाने की जरूरत है।

'ब्लू व्हेल चैलेंज' एक ऑनलाइन गेम है, जिसमें प्रतिभागियों (पार्टिसिपेंट) को एक चैलेंज दिया जाता है। इस गेम में 50 स्टेप्स हैं, जो धीरे-धीरे कठिन होते जाते हैं।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, चैलेंज के तौर पर छात्र ने दो मिनट तक सांसें रोक कर रखीं। भारत के लिए ब्लू व्हेल चुनौती से मौत की यह पहली घटना हो सकती है।

भारत सरकार कई साल पहले 'ब्लू व्हेल चैलेंज' पर प्रतिबंध लगाना चाहती थी, लेकिन इसके बजाय एक एडवाइजरी जारी कर छोड़ दिया गया।

भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गेम के शुरू होने के एक साल बाद 2017 में जारी एक एडवाइजरी में कहा, "ब्लू व्हेल गेम (सुसाइड गेम) आत्महत्या के लिए उकसाने वाला है। इसलिए इससे दूर रहें।"

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह गेम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खेला जाता है। इसमें एक एडमिनिस्ट्रेटर और पार्टिसिपेंट शामिल होता है। एडमिनिस्ट्रेटर 50 दिन की अवधि के दौरान प्रतिदिन एक कार्य सौंपता है। शुरुआत में ये कार्य सरल होते हैं, लेकिन अंतिम चरण में खुद को नुकसान पहुंचाने के साथ वे काफी कठिन होते जाते हैं।

गौरतलब है कि 2015 से 2017 के बीच रूस में ब्लू व्हेल चैलेंज से कई मौतें हुईं थीं।

पश्चिम एशिया में तनाव के बीच इराक में ईरान समर्थित सैन्य ठिकानों पर पांच धमाके, कम से कम तीन घायल

बगदाद

ईरान और इस्राइल के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। लगातार दोनों देश एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं। इस बीच इराक में  ईरान समर्थित सैन्य ठिकानों पांच धमाके हुए। इसमें कम से कम तीन लोग घायल हो गए। हालांकि, अभी तक धमाकों के कारणों का पता नहीं चल पाया है।

धमाकों की जांच चल रही
बगदाद के दक्षिण में बेबीलोन गवर्नरेट में सुरक्षा समिति के सदस्य मुहन्नाद अल-अनाजी के अनुसार, विस्फोट विशेष रूप से पॉपुलर मोबिलाइजेशन यूनिट्स (पीएमयू) से संबंधित एक जगह पर हुए। बेबीलोन गवर्नरेट के उत्तर में राजमार्ग पर अल-मशरौ जिले के कलसू सैन्य अड्डे पर हुए धमाकों की जांच चल रही है।

आरोपों को नकारा
ईरान को संदेह है कि यह धमाके कहीं न कहीं इस्राइल की साजिश है। हालांकि, इस्राइल और अमेरिका के अधिकारियों ने इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीएमयू एक इराकी अर्धसैनिक समूह है जो ज्यादातर शिया ईरान द्वारा समर्थित है। पीएमयू स्थानीय प्रशासन से संबद्ध है और ईरान में शिया के साथ मजबूत संबंध हैं जो लंबे समय से इराकी राजनीति पर हावी है।

इस्राइल- हमास के बीच चल रही जंग
बता दें, यह धमाके ऐसे समय में हुए हैं, जब इस्राइल सात अक्तूबर के हमले के जवाब में गाजा में हमास से लड़ रहा है। कहा जाता है कि इस्राइल पर हुए हमले के पीछे कहीं न कहीं ईरान का हाथ था। इस महीने इस्राइल और ईरान के बीच एक के बाद एक हुए हमले ने गुप्त चल रही लड़ाई को सामने लाकर रख दिया।

यह है ईरान और इस्राइल के बीच तनाव का मामला
ईरान के दमिश्क स्थित दूतावास पर हमला हुआ था। इस हमले में ईरान की सेना के दो शीर्ष कमांडर्स समेत सात लोगों की मौत हुई थी। ईरान ने इस हमले का आरोप इस्राइल पर लगाया था। ईरान ने चेतावनी दी थी कि अगर इस्राइल ने उन पर हमला किया तो वे और ताकत के साथ पलटवार करेंगे। इसके बाद, बीते दिनों ईरान ने इस्राइल पर 300 से ज्यादा मिसाइलों और ड्रोंस से हमला किया था। हालांकि ये मिसाइलें और ड्रोंस इस्राइल की हवाई सुरक्षा को नहीं भेद पाई थीं। वहीं, हाल ही में इस्राइल ने पलटवार किया।

 

कोर्ट के अंदर ट्रंप की चल रही थी सुनवाई, बाहर शख्स ने खुद को लगा ली आग; जानें पूरा मामला

वॉशिंगटन

अमेरिका के मैनहट्टन अदालत के बाहर उस समय अफरा- तफरी मच गई, जब एक शख्स ने तेल छिड़ककर खुद को आग लगा ली। जिस समय शख्स ने खुद को आग लगाई, उसी समय अदालत के अंदर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मुकदमे पर सुनवाई चल रही थी। हालांकि, सवाल उठता है कि आखिर खुद को आग लगाने वाला शख्स कौन हैं? और उसने इस भयावह घटना को क्यों अंजाम दिया?

कौन हैं शख्स?
न्यूयॉर्क के पुलिस विभाग (एनवाईपीडी) के प्रमुख जेफरी मैड्रे ने बताया कि मैक्सवेल अजारेलो नाम का शख्स पहले पार्क गया। वहां उसने कुछ पर्चे बांटे और बाद में खुद को आग लगा ली। फिलहाल वह कॉर्नेल विश्वविद्यालय की बर्न यूनिट में गंभीर स्थिति में है।

फ्लोरिडा के सेंट ऑगस्टीन में रहने वाला अजारेलो खुद को एक खोजी शोधकर्ता बताता है। एक रिपोर्ट में पुलिस का हवाला देते हुए बताया कि शख्स की उम्र करीब 20 साल है और दिखने में बेघर लग रहा था।

एनवाईपीडी के जासूसों के प्रमुख जो केनी ने बताया कि अजारेलो सप्ताह की शुरुआत में न्यूयॉर्क शहर आया और उसने घटना के बारे में प्रचार किया। यहां तक कि खुद को आग लगाने से पहले वो शांत था। केनी ने बताया कि शख्स के परिवार को घटना के बारे में जानकारी दे दी है।

जेफरी मैड्रे ने चिंता जताते हुए कहा कि शख्स ने किसी सुरक्षा का कोई उल्लंघन नहीं किया। लेकिन हम बहुत चिंतित है। उन्होंने आश्वासन दिया कि आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए योजनाएं मौजूद हैं।

एनवाईपीडी के जन सूचना उपायुक्त तारिक शेपर्ड ने कहा कि किसी को नहीं पता था कि यह व्यक्ति खुद को आग लगाने जा रहा है।

शख्स ने खुद को आग क्यों लगाई?
फिलहाल शख्स के खुद को आग लगाने की वजह साफ नहीं हो पाई है। कानून प्रवर्तन सूत्रों से पता चला है कि वह एक प्रदर्शनकारी समूह का हिस्सा है। यहां तक कि उसके विरोध के पीछे का मकसद भी अभी नहीं पता है। यह रहस्य बना हुआ है।  

जब शख्स ने खुद को आग लगाई थी तो उसने कुछ पर्चों को हवा में उछाला था। उनमें से एक का शीर्षक था- दुनिया का सच्चा इतिहास। वहीं एक अन्य पर्चे में लिखा था कि एनवाईयू एक भीड़ का मोर्चा है। इसके अलावा, सड़क पर पड़े एक पर्चे में लिखा था- मैंने ट्रंप के ट्रायल के दौरान बाहर खुद को आग लगा ली है। न्यूयॉर्क सिटी अग्निशमन विभाग ने पुष्टि की कि व्यक्ति को दोपहर एक बजकर 41 मिनट पर गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया।

मीडिया में हलचल
इस घटना के दौरान मीडिया कर्मियों के सामने समस्या खड़ी हो गई, क्योंकि कैमरे के सामने व्यक्ति ने आग लगाई थी और यह गंभीर मसला था, लेकिन नैतिकता के आधार पर जलते हुए व्यक्ति का वीडियो फुटेज नहीं दिखाया जा सकता था। पत्रकारों ने लाइव प्रसारण के दौरान कहा 'हमारे पास एक आदमी है जिसने खुद को आग लगा ली है, हमारे कैमरे अभी घूम रहे हैं और एक आदमी ने अब अदालत के बाहर खुद को आग लगा ली है। आप जलते हुए मांस की गंध महसूस कर सकते हैं।'

फुटेज में देखा जा सकता है कि व्यक्ति के खुद को आग लगाते ही आसपास खड़े लोग अग्निशामक यंत्रों से आग बुझाने की कोशिश कर रहे। वहीं, एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि शख्स ने पहले ट्रंप समर्थक प्रदर्शनकारियों से संपर्क किया था। इसके अलावा, एक वीडियो फुटेज में आग की लपटों में घिरा हुआ दिखाया गया।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई घटना
कई प्रत्यक्षदर्शियों ने घटना को बताया कि कैसे चमकीले नारंगी रंग की लपटों में जलते हुए व्यक्ति को देखकर आसपास खड़े लोग चिल्लाने लगे। एक ने कहा, 'मैं जले हुए मांस की गंध महसूस कर सकता हूं और आग देख सकता हूं।'

बता दें,  घटना मैनहट्टन कोर्टहाउस से सटे कलेक्ट पॉन्ड पार्क के पास की है। अदालत में ट्रप के आपराधिक मुकदमे के लिए जूरी का चयन चल रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आत्मदाह की घटना के बाद ट्रंप समर्थकों ने इलाके को तुरंत खाली कर दिया।

आग बुझने के बाद भी धुआं उठता रहा। राख और मलबे के अवशेष सड़क पर फैले रहे। यह घटना मुकदमे की कार्यवाही दोपहर के भोजन के लिए स्थगित होने से कुछ देर पहले दोपहर करीब एक बजकर 35 मिनट पर घटी।

 

 

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