रायपुर
देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भेजे एक पत्र में ई-कॉमर्स नीति और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत नियमों को शीघ्र लागू करने का अनुरोध किया है। कैट ने कुछ मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि यह पता चला है कि ई-कॉमर्स नीति और नियम दोनों प्रधानमंत्री श्री मोदी की अप्रूवल के लिये लंबित है और इसलिए देश भर के व्यापारी श्री मोदी के अप्रूवल किए जाने का इंतजार कर रहे हैं जो व्यापार और देश के व्यापक हित में आवश्यक है।
कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री अमर पारवानी और प्रदेश अध्यक्ष श्री जितेन्द्र दोशी ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था पर ई-कॉमर्स के परिवर्तनकारी प्रभाव को पहचानते हुए, हमारा मानना है कि एक व्यापक और अच्छी तरह से संरचित नीति जरूरी है जो निश्चित रूप से ई कॉमर्स की प्रमुख कंपनियों द्वारा बनाए गए असमान स्तर के खेल को खत्म कर देगी जिससे देश का आम व्यापारी भी ई-कॉमर्स का लाभ उठा सकेगा।
श्री पारवानी और श्री दोशी ने कहा कि ई-कॉमर्स नीति के त्वरित कार्यान्वयन से न केवल बहुत जरूरी नियामक स्पष्टता मिलेगी बल्कि एक निष्पक्ष और प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल को भी बढ़ावा मिलेगा। उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना, छोटे व्यवसायों को बढ़ावा देना और ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी तंत्र में सभी हितधारकों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है जिसके लिये पालिसी एवं नियमों को अब लागू करना निहायत ही जरूरी हो गया है।
श्री पारवानी एवं श्री दोशी ने आगे कहा कि जैसे-जैसे हमारा देश डिजिटल अर्थव्यवस्था को अपनाना जारी रखता है, एक मजबूत ई-कॉमर्स नीति आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और तकनीकी नवाचार में महत्वपूर्ण योगदान देगी। इसके अलावा, यह हमारी वैश्विक स्थिति को मजबूत करेगा और डिजिटल बाजार में निवेशकों का विश्वास बढ़ाएगा। देश के व्यापारिक समुदाय को विश्वास है कि पीएम मोदी इस मामले की तात्कालिकता और महत्व को देखते हुए इस प्रक्रिया में तेजी लाएंगे। शीघ्र कार्यान्वयन से व्यवसायों को नियामक ढांचे के साथ जुडने में मदद मिलेगी, जिससे पारदर्शी और जवाबदेह ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा।