भोपाल
राजगढ़ संसदीय क्षेत्र से मेरा 40 वर्ष का नाता है। यहां के लोगों की मैंने यथोचित सेवा की है। विश्वास है कि जनता का आशीर्वाद मुझे मिलेगा। मेरी उम्र 77 साल हो चली है। यह मेरा आखिरी चुनाव है। यह बात राज्यसभा सदस्य और राजगढ़ से कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने कार्यकर्ताओं की बैठक में कही। सिंह ने पीएम मोदी की गारंटी को खोखला बताया। कहा कि 2014 में काला धन वापस लाना और भ्रष्टाचार को खत्म करने के बारे में जो भी घोषणाएं की थीं, वह पूरी नहीं हुईं। जिन नेताओं पर वह भ्रष्टाचार के आरोप लगाते थे, उन्हें ही भाजपा में शामिल कर लिया।
राजगढ़ में घिरेंगे दिग्विजय
दिग्विजय की सियासी अहमियत प्रदेश सहित देश के स्तर पर है। इस कारण भी अब वे निशाने पर रहेंगे। हिन्दुत्व के मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर निशाने पर रहते हैं। पिछली बार भोपाल लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय स्तर पर छाया रहा था। लोकसभा के चुनावी रण में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के उतरने के बाद भाजपा की व्यूहरचना में बदलाव आया है। अभी तक केवल पूर्व सीएम कमलनाथ की छिंदवाड़ा सीट को फोकस में रखकर भाजपा काम कर रही थी। अब दिग्विजय की राजगढ़ सीट भी सियासी निशाने पर आ गई है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने नए सिरे से रोडमैप को तय करने पर काम शुरू कर दिया है। खींचतान पुरानी दिग्विजय और वीडी के बीच लंबे समय से सियासी खींचतान चल रही है। एक-दूसरे पर निशाना साधते रहे हैं। वीडी ने सत्ता परिवर्तन के बाद चैनल को गलत भुगतान का मुद्दा उठाया था। दिग्विजय ने पन्ना में अवैध खनन का मुद्दा उठाया। वीडी ने पन्ना में दिग्विजय समर्थकों को लेकर निशाना साधा। दिग्विजय ने वीडी को अवैध खनन से लेकर सत्ता के दुरुपयोग तक पर घेरा। व्यापमं घोटाले में नाम लिया। विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम नातीराजा के ड्राइवर की मौत के मामले में दिग्गी धरना देने पहुंचे। पलटवार में उन पर FIR हुई।
राजगढ़ में बीजेपी की चुनौती बढ़ी
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (amit shah) ने छिंदवाड़ा को लेकर भाजपा को लक्ष्य दिया था। इस पर कांग्रेस में तोड़-फोड़ हुई। अभी छिंदवाड़ा में कमलनाथ के पुत्र नकुल सांसद हैं। अब दिग्विजय की राजगढ़ सीट पर भी तोड़-फोड़ से लेकर अन्य पैतरें बढ़ सकते हैं। राजगढ़ में भाजपा सांसद रोडमल नागर हैं। पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी मोना सुस्तानी थीं, जो कुछ समय पूर्व भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। मोना को भी दिग्विजय खेमे का माना जाता था। राजगढ़ को दिग्विजय की परंपरागत सीट माना जाता है। उनका गहरा नेटवर्क है। ऐसे में भाजपा के लिए चुनौती बढ़ी है।