जबलपुर
प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बीएड डिग्री धारकों को नियुक्ति देने के मामले में हाईकोर्ट में फिलहाल सुनवाई बढ़ गई। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2023 में बीएड डिग्रीधारकों को प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति देने के लिए अयोग्य घोषित किया था। इसके स्पष्टीकरण के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसकी सुनवाई आठ अप्रैल को हुई। चूंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश अभी वेबसाइट पर अपलोड नहीं हुआ है, इसलिए प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ ने अगली सुनवाई 15 अप्रैल को निर्धारित की है।
मप्र सरकार के भर्ति नियमों को चुनौती
उल्लेखनीय है कि डीएलएड छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मप्र सरकार के भर्ति नियमों को चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने अपने पूर्व आदेशों में प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती को इस याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रखा है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर की ओर से दलील दी गई कि नेशनल काउंसिल फार टेक्निकल एजुकेशन के नियमों का हवाला देते हुए कहा कि प्राथमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बीएड डिग्री धारकों को नियुक्ति देना अवैधानिक है। हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद राज्य सरकार ने अप्रैल, 2023 से लेकर दिसंबर 2023 तक हजारों बीएड डिग्रीधारकों को नियुक्ति दी है।
सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच में सुनवाई
इस बीच हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि याचिका में सरकार के नियम, व्यापमं के विज्ञापन और नियुक्तिपत्रों को चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने यहां तक कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने बाध्य है। इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के 2023 के निर्णय के भूतलक्षी व भविष्यलक्षी प्रभाव के संबंध में शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है। मप्र सरकार के साथ-साथ कई अन्य राज्यों ने भी याचिकाएं दायर की हैं। विगत आठ अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच में सुनवाई हुई। इसका आदेश बाहर आना शेष है।