‘राजा’ के सामाजिक सरोकारों ने गढ़ी प्रशासन की नई इबारत

भोपाल

इंदौर में भले ही ईलैया राजा टी का कलेक्टर के तौर पर कार्यकाल छोटा रहा हो, लेकिन उनके कार्यकाल को लंबे अरसे तक सामाजिक सरोकर के लिए जिले के लोग याद रखेंगे। इंदौर में जितने भी कलेक्टर बन कर आए, जाते वक्त तक वे कोई न कोई छाप जनता और जिले में छोड़कर गए। जिनमें अब ईलैया राजा टी भी शामिल हो गए हैं। वे खासकर गरीब और दिव्यांग लोगों की मदद के लिए हमेशा तत्पर और अग्रणी रहते थे। वहीं इंदौर कलेक्टर बने आशीष सिंह का नाता इंदौर से पुराना है। वे यहां पर नगर निगम कमिश्नर और जिला पंचायत सीईओ भी रह चुके हैं और इंदौर की नब्ज को समझते हैं।

इलैया राजा जनसुनवाई को दिया महत्व: 14 माह के कार्यकाल में ईलैया राजा टी ने इंदौर के विकास और इंदौर को निखारने के अनके काम किए। उनका अनूठा काम जनसुनवाई का हुआ। प्रदेश में हर मंगलवार को जनसुनवाई की व्यवस्था है, लेकिन कलेक्टर रहते ईलैया राजा के यहां पर हर दिन जनसुनवाई होती थी। उनका काम करने का अंदाज कुछ ऐसा होता था कि वे समस्या का निराकरण तत्काल करते थे और यह क्रम अमूमन हर दिन चलता था।

दिव्यांगों की भी मदद में नहीं रहे पीछे  
इलैया राजा दिव्यांग व्यक्ति के लिए खासे मददगार के रूप में यहां पर उभर कर सामने आए। उनके यहां पर यदि कोई दिव्यांग पहुंच जाए और उसके पास वाहन न हो तो वे उसके लिए सबसे पहले ट्राई मोटराइज्ड साइकिल  देते थे। दिव्यांगों से वे यह भी पूछते थे कि उनका रोजगार क्या है, यदि रोजगार की व्यवस्था नहीं है तो कलेक्टर अपने प्रयासों से उस दिव्यांग के लिए रोजगार की भी व्यवस्था करवाते थे।

आशीष सिंह इंदौर में इसके पहले भी रहे
भोपाल से इंदौर कलेक्टर बने आशीष सिंह का इंदौर से पहले से नाता रहा है। जिले में वे दो महत्वपूर्ण पदों पर पूर्व में रह चुके हैं। दोनों ही पदों पर उन्होंने अपने काम की छाप छोड़ी है। वे इंदौर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रहे। इसके बाद वे इंदौर नगर निगम के कमिश्नर भी रहे। इस दौरान उन्होंने इंदौर शहर को स्वच्छ बनाए रखने के लगातार प्रयास किए।

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