विदिशा
महज 21 वर्ष 6 दिन की उम्र में सरपंच बनकर देश के सबसे युवा सरपंच बनने वाले अनिल यादव ने एक साल के भीतर गांव में वो काम कर दिखाया जो कई लोग पांच साल में नही कर पाते। विदिशा जिले की सिरोंज जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सरेखों के सरपंच अनिल ने गांव में जल संकट को देखते हुए आठ माह के भीतर तीन अमृत सरोवर, चार स्टाप डैम और दस खेत तालाब बना दिए, जिसके चलते इस गांव में पहली बार किसान धान की फसल लेने लगे हैं। जल जीवन मिशन के तहत इस पंचायत को जल संतृप्त का दर्जा दिया गया है। जिला पंचायत ने युवा सरपंच के कार्यों को देखते हुए इस पंचायत में लर्निंग सेंटर बनाने का निर्णय लिया है ताकि जिले के दूसरे सरपंच भी यहां आकर कुछ सीख सके।
दिलचस्प है सरपंच बनने की कहानी
युवा सरपंच अनिल बताते है कि वे गांव में आधुनिक आजीविका भवन तैयार कर रहे है, जहां बैठकर समूह की महिलाएं देश के किसी भी हिस्से से वीडियो कांफ्रेंसिंग से जुड़ सकेगी। अनिल सरपंची के साथ ही राजनीति शास्त्र से एमए की पढ़ाई कर रहे है। अनिल के सरपंच बनने की कहानी भी काफी रोचक है। तीन साल पहले तक वे प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते थे। इसके लिए वह इंदौर में पीएससी की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच कोरोना महामारी के लाक डाउन लग गया और उन्हें वापस गांव आना पड़ा। वहां मन ऐसा रमा कि वापस इंदौर जाने और अधिकारी बनने का सपना पीछे छूट गया। अनिल के मुताबिक उनके सरपंच बनने से पहले तक कम उम्र में सरपंच बनने का खिताब राजस्थान के भरतपुर जिले की डिंग पंचायत के सरपंच असरुनी खान के नाम था। वह 21 वर्ष 18 दिन की उम्र में सरपंच बनी थी और वे 21 वर्ष 6 दिन में सरपंच बने थे। सबसे कम उम्र में सरपंच बनने पर मुख्यमंत्री ने भोपाल बुलाकर उनका सम्मान किया था। अब वे पंचायती राज पर देश भर में होने वाले कार्यक्रमों में प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से भी मिली सराहना
ग्रामीण विकास मंत्रालय की वित्त सचिव तनुजा ठाकुर भी इस गांव का जायजा लेकर तारीफ कर चुकी है। अनिल के मुताबिक पिछले दिनों वे राजस्थान के झुंझनू में आयोजित कार्यशाला में शामिल हुए थे, जिसमें देश भर के 70 प्रगतिशील सरपंचों को बुलाया गया था, इनमें मध्यप्रदेश के 12 सरपंचों में वे भी शामिल थे। देश भर के सरपंचों के सामने उन्होंने ग्राम विकास माडल का प्रस्तुतीकरण किया। अनिल की मेहनत और लगन को देखकर स्थानीय विधायक उमाकांत शर्मा भी उसे भरपूर सहयोग कर रहे है। जिसका असर गांव में हो रहे विकास के रूप में दिख रहा है।
जल संरक्षण से बढ़ा भूजल स्तर
ग्रामीण बताते है कि गांव में पहली बार वर्षा के जल का संरक्षण हुआ। अमृत सरोवर और स्टाप डैम बन जाने के कारण चार महीने गांव में पानी रहा, जिसके कारण गांव का भू जल स्तर बढ़ गया। पहले गर्मियों में हैंडपम्प तक सूख जाते थे लेकिन इस बार अब तक ऐसे हालात नहीं बने है। अनिल के मुताबिक उन्होंने तीनों अमृत सरोवर काफी बड़े क्षेत्र में बनाए है। इस वर्ष कम वर्षा के कारण गर्मी में यह सरोवर सूख गए है लेकिन अच्छी वर्षा होने पर यह सरोवर क्षेत्र के किसानों के लिए वरदान साबित होंगे।